четверг, 15 августа 2019 г.

Logistic Hub Im Narnaul City - जिले में लॉजिस्टक हब को मिली मंजूरी - Amar Ujala Hindi News Live

जिले में लॉजिस्टक हब को मिली मंजूरी पिछड़ेपन का कलंक झेल रहे जिले के दिन अब बहुरने वाले हैं। काफी समय से अति महत्वाकांक्षी परियोजना ‘मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब’ की आस लिए बैठे लोगों को की यह मुराद अब पूरी हो चुकी है। यह जिले के लोगों के लिए बड़ी जीत है, क्योंकि इसके लिए रेवाड़ी के बावल में पहले ही भूमि अधिग्रहण हो चुका है। इस परियोजना के लिए पहल करने वाले विधायक के लिए भी यह बड़ी कामयाबी है। एक बार यह परियोजना हाथ से निकलती दिख रही थी। इस मामले को अमर उजाला ने 28 अक्टूबर के अंक में प्रमुखता से उठाया था। 15 जनवरी को चंडीगढ़ में हुई बैठक में जिले के निजामपुर क्षेत्र में लॉजिस्टक हब बनाने का रास्ता साफ हो गया था। अब 15 फरवरी को इसके संबंध में एक पत्र भी उपायुक्त को भेजा गया है। अब इस परियोजना पर बस काम शुरू होना बाकी है। क्षेत्र की तस्वीर और लोगों की तकदीर बदलने वाली बड़ी योजना यहां के लोगों के हाथों में फिर से आने वाली है। मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब के नाम की इस परियोजना को जिला महेंद्रगढ़ के निजामपुर क्षेत्र में बनाने के लिए हरी झंडी भी मिल गई है। हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं संरचना विकास निगम लिमिटेड ने इसकी मंजूरी दे दी है। जिसका एक पत्र उपायुक्त को सोमवार शाम को प्राप्त हो गया था। अब इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का काम किया जाएगा। जिसके लिए एक कमेटी का गठन भी किया गया है। इस परियोजना के लिए एचएसआईडीसी ने निजामपुर क्षेत्र के तीन गांवों तलोट, बसीरपुर व घाटासेर की जगह को उपयुक्त माना है। जिले के लोगों का है हक अगर देखा जाए तो यह योजना असल में जिला महेंद्रगढ़ के लोगों के लिए ही है, क्योंकि इस प्रोजेक्ट के आने के बाद यहां की बंजर भूमि में जीवनयापन कर रहे किसानों की पौ बारह हो जाएगी। यह प्रोजेक्ट बंजर पड़े इस क्षेत्र के लोगों के लिए संजीवनी बूटी होगी तथा क्षेत्र के विकास का मार्ग खुल जाएगा। क्या है यह पूरी योजना यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में व्यापार के लिए दिल्ली को सीधे मुंबई को जोड़ने के लिए नार्थ-वेस्ट कॉरिडोर के नाम से एक योजना तैयार की गई थी। इस योजना को सिरे चढ़ते-चढ़ते करीब सात-आठ साल होने को हैं। इसके तहत दिल्ली के बाहर दादरी से मुंबई के पास कांडला बंदरगाह तक रेलवे लाइन बिछाई जानी है। जिसके एक चरण का कार्य पूरा होने वाला है। इसके तहत भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा हो चुका है। इसकी लाइनें बिछाने का कार्य चल रहा है। इस योजना के तहत दो लाइनें डाली जा रही हैं, जिनपर तेज रफ्तार की माल गाड़ियां सरपट दौड़ेंगी। इन माल गाड़ियों में आने वाले माल को रखने व आसपास से निर्मित माल को भेजने के लिए बड़ा मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब बनाया जाएगा। क्या होगा इस हब में जहां से इस माल को हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल व जम्मू कश्मीर के शहरों में भेजा जाएगा। इस हब में बड़े-बड़े वेयर हाउस बनेंगे। अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे कई हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा। बावल में रद्द हो चुका है अवार्ड इसके लिए सरकार ने सबसे पहले बावल क्षेत्र को चुना था और वहां पर सरकार ने भूमि अधिग्रहण कर अवार्ड भी घोषित कर दिया था, मगर वहां के किसान उनको मिलने वाले मुआवजे से संतुष्ट नहीं थे। वहीं रक्षा राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने इसका विरोध भी किया। जिसके बाद 2014 में सरकार ने आनन फानन में इसको रद्द कर दिया तथा इसके बाद से सरकार इसको जल्दी से जल्दी बनाना चाहती है। जिसके चलते गत सबसे पहले 27 दिसंबर 2014 को यहां पर एक टीम ने जमीन का मुआयना भी किया था। कई जगहों का किया था मुआयना आईएमएमएलएच (इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब ) और मॉॅडल इंडस्ट्रियल टाउनशिप जैसी महत्वाकांक्षी योजना के लिए एचएसआईडीसी चंडीगढ़ से सीनियर टाउन प्लानर ने तीन जगहों का मुआयना भी किया। बावल में हब रद्द होने के बाद निजामपुर क्षेत्र में इसके लिए जितनी जमीन चाहिए। उससे करीब 7 गुणा जमीन अधिक है। बावल में 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा मांगा जा रहा था। अब निजामपुर के लोगों को मिलेगा 30 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा इस परियोजना के लिए एचएसआईडीसी ने लैंड इक्वायर करने के लिए सरकार से कहा है। एचएसआईडीसी से जारी पत्र के अनुसार इसके लिए यहां के किसानों को 30 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाएगा। दो हजार एकड़ जमीन की है आवश्यकता परियोजना के लिए आरंभ में कम से कम 2 हजार एकड़ जमीन की आवश्यकता है। गत वर्ष जनवरी में देखी फिर से साइटें लॉजिस्टिक हब के लिए जनवरी 15 में साइट देखने आए सीनियर टाउन प्लानर यूसुफ मोहम्मद मंसूरी ने निजामपुर क्षेत्र में तीन जगहों का अवलोकन किया। इनमें एक साइट मौखूता, ब्राह्मïणवास, नारेहड़ी, पांचनौता व रूपसराय, दूसरी साइट घाटाशेर, बसीरपुर, सरेली, तलोट, बेरूंडला तथा तीसरी साइट मूसनौता की पंचायती भूमि की रही। कई कारणों से उत्तम है यह जगह यह जगह कई कारणों से उत्तम है। यहां की पंचायत इस जमीन को निशुल्क दे रहे हैं, जबकि बावल में किसान इसके लिए भारी भरकम मुआवजा मांग रहे हैं। यह जमीन बंजर है, जबकि बावल की जमीन पर खेती होती है। इसलिए बंजर जमीन पर हब बनाना अधिग्रहण के नियमों के अनुसार सही है। वहीं जहां के लिए भूमि का चयन किया जा रहा है, उसकी नेशनल हाइवे से भी सीधी कनेक्टिविटी है। प्रस्तावित साउथ नॉर्थ सड़क कारीडोर से वाया नांगल चौधरी व नारनौल सीधी कनेक्टिविटी है। वहीं यह राजस्थान के नीमराना बहरोड़ औद्योगिक क्षेत्र से मात्र 25 किलोमीटर दूरी। यहां पर अन स्किल्ड लेबर व तकनीकी मैन पावर आसानी से उपलब्ध। इसके अलावा यहां पर पानी की व्यवस्था के लिए 300 करोड़ की वल्र्ड बैंक परियोजना प्रगति पर। एक बार यह परियोजना हाथ से निकलती दिख रही थी। इस मामले को अमर उजाला ने 28 अक्टूबर के अंक में प्रमुखता से उठाया था। 15 जनवरी को चंडीगढ़ में हुई बैठक में जिले के निजामपुर क्षेत्र में लॉजिस्टक हब बनाने का रास्ता साफ हो गया था। अब 15 फरवरी को इसके संबंध में एक पत्र भी उपायुक्त को भेजा गया है। अब इस परियोजना पर बस काम शुरू होना बाकी है। क्षेत्र की तस्वीर और लोगों की तकदीर बदलने वाली बड़ी योजना यहां के लोगों के हाथों में फिर से आने वाली है। मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब के नाम की इस परियोजना को जिला महेंद्रगढ़ के निजामपुर क्षेत्र में बनाने के लिए हरी झंडी भी मिल गई है। हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं संरचना विकास निगम लिमिटेड ने इसकी मंजूरी दे दी है। जिसका एक पत्र उपायुक्त को सोमवार शाम को प्राप्त हो गया था। अब इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का काम किया जाएगा। जिसके लिए एक कमेटी का गठन भी किया गया है। इस परियोजना के लिए एचएसआईडीसी ने निजामपुर क्षेत्र के तीन गांवों तलोट, बसीरपुर व घाटासेर की जगह को उपयुक्त माना है। जिले के लोगों का है हक अगर देखा जाए तो यह योजना असल में जिला महेंद्रगढ़ के लोगों के लिए ही है, क्योंकि इस प्रोजेक्ट के आने के बाद यहां की बंजर भूमि में जीवनयापन कर रहे किसानों की पौ बारह हो जाएगी। यह प्रोजेक्ट बंजर पड़े इस क्षेत्र के लोगों के लिए संजीवनी बूटी होगी तथा क्षेत्र के विकास का मार्ग खुल जाएगा। क्या है यह पूरी योजना यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में व्यापार के लिए दिल्ली को सीधे मुंबई को जोड़ने के लिए नार्थ-वेस्ट कॉरिडोर के नाम से एक योजना तैयार की गई थी। इस योजना को सिरे चढ़ते-चढ़ते करीब सात-आठ साल होने को हैं। इसके तहत दिल्ली के बाहर दादरी से मुंबई के पास कांडला बंदरगाह तक रेलवे लाइन बिछाई जानी है। जिसके एक चरण का कार्य पूरा होने वाला है। इसके तहत भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा हो चुका है। इसकी लाइनें बिछाने का कार्य चल रहा है। इस योजना के तहत दो लाइनें डाली जा रही हैं, जिनपर तेज रफ्तार की माल गाड़ियां सरपट दौड़ेंगी। इन माल गाड़ियों में आने वाले माल को रखने व आसपास से निर्मित माल को भेजने के लिए बड़ा मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब बनाया जाएगा। क्या होगा इस हब में जहां से इस माल को हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल व जम्मू कश्मीर के शहरों में भेजा जाएगा। इस हब में बड़े-बड़े वेयर हाउस बनेंगे। अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे कई हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा। बावल में रद्द हो चुका है अवार्ड इसके लिए सरकार ने सबसे पहले बावल क्षेत्र को चुना था और वहां पर सरकार ने भूमि अधिग्रहण कर अवार्ड भी घोषित कर दिया था, मगर वहां के किसान उनको मिलने वाले मुआवजे से संतुष्ट नहीं थे। वहीं रक्षा राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने इसका विरोध भी किया। जिसके बाद 2014 में सरकार ने आनन फानन में इसको रद्द कर दिया तथा इसके बाद से सरकार इसको जल्दी से जल्दी बनाना चाहती है। जिसके चलते गत सबसे पहले 27 दिसंबर 2014 को यहां पर एक टीम ने जमीन का मुआयना भी किया था। कई जगहों का किया था मुआयना आईएमएमएलएच (इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब ) और मॉॅडल इंडस्ट्रियल टाउनशिप जैसी महत्वाकांक्षी योजना के लिए एचएसआईडीसी चंडीगढ़ से सीनियर टाउन प्लानर ने तीन जगहों का मुआयना भी किया। बावल में हब रद्द होने के बाद निजामपुर क्षेत्र में इसके लिए जितनी जमीन चाहिए। उससे करीब 7 गुणा जमीन अधिक है। बावल में 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा मांगा जा रहा था। अब निजामपुर के लोगों को मिलेगा 30 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा इस परियोजना के लिए एचएसआईडीसी ने लैंड इक्वायर करने के लिए सरकार से कहा है। एचएसआईडीसी से जारी पत्र के अनुसार इसके लिए यहां के किसानों को 30 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाएगा। दो हजार एकड़ जमीन की है आवश्यकता परियोजना के लिए आरंभ में कम से कम 2 हजार एकड़ जमीन की आवश्यकता है। गत वर्ष जनवरी में देखी फिर से साइटें लॉजिस्टिक हब के लिए जनवरी 15 में साइट देखने आए सीनियर टाउन प्लानर यूसुफ मोहम्मद मंसूरी ने निजामपुर क्षेत्र में तीन जगहों का अवलोकन किया। इनमें एक साइट मौखूता, ब्राह्मïणवास, नारेहड़ी, पांचनौता व रूपसराय, दूसरी साइट घाटाशेर, बसीरपुर, सरेली, तलोट, बेरूंडला तथा तीसरी साइट मूसनौता की पंचायती भूमि की रही। कई कारणों से उत्तम है यह जगह यह जगह कई कारणों से उत्तम है। यहां की पंचायत इस जमीन को निशुल्क दे रहे हैं, जबकि बावल में किसान इसके लिए भारी भरकम मुआवजा मांग रहे हैं। यह जमीन बंजर है, जबकि बावल की जमीन पर खेती होती है। इसलिए बंजर जमीन पर हब बनाना अधिग्रहण के नियमों के अनुसार सही है। वहीं जहां के लिए भूमि का चयन किया जा रहा है, उसकी नेशनल हाइवे से भी सीधी कनेक्टिविटी है। प्रस्तावित साउथ नॉर्थ सड़क कारीडोर से वाया नांगल चौधरी व नारनौल सीधी कनेक्टिविटी है। वहीं यह राजस्थान के नीमराना बहरोड़ औद्योगिक क्षेत्र से मात्र 25 किलोमीटर दूरी। यहां पर अन स्किल्ड लेबर व तकनीकी मैन पावर आसानी से उपलब्ध। इसके अलावा यहां पर पानी की व्यवस्था के लिए 300 करोड़ की वल्र्ड बैंक परियोजना प्रगति पर।

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